Teej पर्व हिन्दू धर्म के महान पर्वों में से एक है जो भारत के विभिन्न भागों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व प्रीत के परिपूर्ण जीवन का प्रतीक माना जाता है और साथ ही महिलाओं के लिए खुशियों और सौंदर्य के महोत्सव के रूप में जाना जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कथा के आधार पर मनाया जाता है और इसके दो विशेष रूप होते हैं – हरितालिका तीज और कजरी तीज।
हरितालिका तीज से एक दिन पहले, शुक्ल पक्ष की तृतीया को मुहूर्तमान हरितालिका व्रत करने में महिलाएं अपने सौंदर्य और सौम्य स्वभाव को बनाये रखने के लिए प्रेरित होती हैं। इसके बाद चौथे दिन तीज का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं फूलों की माला पहनती हैं, मीठे व्यंजन पकाती हैं, और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
2023 में Teej की तारीख 7 सितंबर है। यह पर्व उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों जैसे कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह एक महिलाओं का लोकप्रिय पर्व है जिसमें वे भगवान शिव की आराधना करती हैं और अपने प्रेम जीवन की लंबाई और सौभाग्य की कामनाएं करती हैं।
महत्वपूर्ण तिथियां:
– हरितालिका तीज – 6 सितंबर 2023
– कजरी तीज – 21 सितंबर 2023
Teej के अद्वितीय रंग और महत्व:
Teej का अद्वितीय उत्सव विवाहित महिलाओं के लिए होता है, जो अपनी भावनाओं और इच्छाओं को अपने पति और परिवार के साथ साझा करती हैं। वे सन्तान सुख, प्रेम और सौभाग्य की कामना करती हैं।
Teej के उत्सव में सामाजिक महत्व:
– दोस्तों और परिवार वालों के साथ पवित्र संगीत, नृत्य और खाने का आनंद
– महिलाएं मेहंदी और सोने-चांदी के जूड़े करके सजीवनता का उत्सव मनाती हैं
– सामूहिक पूजन एवं व्रत करके देवी पार्वती के आशीर्वाद की कामना करती हैं
Hariyali Teej
– Hariyali Teej में महिलाएं हरी साड़ियों, गंगाजल, घास-फूस और फूलों से अपने आप को सजाती हैं।
Kajari Teej
– Kajari Teej पर गहने पहना जाता है और घर की महिलाएं अपने मां, माता पार्वती, और गोदावरी देवी की पूजा करती हैं।
Teej के व्रत का महत्व:
– इस व्रत का महिलाएं करती हैं ताकि उनके पति की लम्बी आयु और खुशहाली की कामना हो।
व्रत की प्रक्रिया:
1. स्नान – पावित्र्य एवं शुद्धि के लिए
2. निराहारी रहना – व्रत का पालन करते हुए
3. कथा कथन – भगवान शिव-पार्वती की पूजन और कथा के साथ
4. आरती – विधि अनुसार आरती
व्रत में ज्यों के ज्यों अन्न का विशेष महत्व:
– पुराने समय में अन्न का महत्व बहुत ज्यादा होता था
Teej पर मुंह मिलाने की विधि:
– सौतंगी, नानंद-भाभी के साथ मुंह मिलाने की पुरानी विधि है
Teej पर्व के मनाने की विधियाँ:
– नीलकंठ वर्णन, गान और नृत्य करने का विशेष महत्व
Frequently Asked Questions (FAQs) about Teej:
1. Teej क्या है?
Teej एक हिंदू पर्व है जो महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना करती हैं।
2. क्या Teej केवल महिलाएं ही मनाती हैं?
जी हां, Teej एक महिलाओं का पर्व है जिसमें वे पतिव्रता और प्रेम के पर्व के रूप में मनाती हैं।
3. Teej कैसे मनाया जाता है?
Teej का उत्सव फूलों की मालाएँ पहनना, पूजा, मीठे व्यंजन बनाना, गाना, नृत्य और परिवार के संग खुशियां मनाना जैसे आयोजनों के साथ मनाया जाता है।
4. Teej का क्या महत्व है?
Teej एक पर्व है जो महिलाओं के प्रेम जीवन और पतिव्रता का प्रतीक है। यह उनकी प्रेम और भगवान शिव-पार्वती के प्रेम कहानी को साकार करता है।
5. क्या Teej व्रत रखना आवश्यक है?
यह एक स्वेच्छा से किया जाने वाला व्रत है, लेकिन लोग इसे परंपरागत रूप में मानते हैं और करते हैं।
6. Teej कितने प्रकार के होते हैं?
Teej के दो प्रमुख प्रकार होते हैं – Hariyali Teej और Kajari Teej।
7. Teej पर क्या पहना जाता है?
Teej पर महिलाएं हरी साड़ियों, गहने, मेहंदी आदि पहनती हैं।
8. क्या Teej एक धार्मिक उत्सव है?
हां, Teej एक हिंदू धार्मिक उत्सव है जो महिलाओं के प्रेम और पतिव्रता का प्रतीक है।
9. कितने दिन के लिए Teej का व्रत रखा जाता है?
Teej का व्रत 24 घंटे (एक दिन) तक रखा जाता है जिसमें महिलाएं बिना भोजन करती हैं और पूजा करती हैं।
10. क्या Teej कहाँ-कहाँ मनाया जाता है?
Teej भारत के उत्तरी राज्यों जैसे कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश आदि में विशेष रूप से मनाया जाता है।